ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

अनित्य भावना


अनित्य भावना
जो उगता है, वह अस्त होता है ।
जो खिलता है, वह मुरझाता है ।
जो जन्म लेता है, वह मरता है ।
यह सम्पूर्ण जगत विनाशी है ।
सभी संयोग क्षणिक है, 
इसलिए किसी व्यक्ति या
वस्तु पर मोह करने जैसा नहीं है ।
सभी संयोग क्षणिक है ।


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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