ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

VASUPUJAYA BHAGWAN, भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना

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भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना
डूबे ना नाव मेरी – २, इसे तु तार लेना भावना एक मेरी….
शरण हमने लिया है, अर्पण तुम्हे किया है
दिल में बसा लिया, ये दिल तुमको दिया है
आज आकार खड़ा हूँ – २ मुझे यू तार लेना भावना एक मेरी….
नाथ तुमसा मिला है, ह्रदय का बाग खिला है
कर्मो का राज हिला है मुझे सरताज मिला है
तुम्हे पाकर खुशी है – २, कोई ना नाथ मेरे भावना एक मेरी….
ज्ञान तुमने दिया है, पान उसका किया है
आज हर्षित जिया है गम को भुला दिया है
भाव की पुष्प माला – २, इसे तुम धार लेना भावना एक मेरी….
प्रभु तुमने दिखाया, भक्ति का भाव जगाया
आस लेकर बड़ी, दर्शन तेरा सुहाया
जैन ज्ञान आया – २, रटन है दिवस रेना भावना एक मेरी….
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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