नशा चढ़े प्रभु प्रेम का,
बिसरे तन, मन, का भान।
सुख दुःख की चिन्ता नहीं,
हर पल रहे मालिक का ध्यान॥
प्रभु तेरी मेरी प्रीत पुरानी
शक की ना गुंजाइश है
रखना हमेशा चरणों में ही
छोटी सी ये फरमाइश है।।
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