त्रिशला माँ के 14 स्वप्न कौनसे
यह हम जानते है...
इन स्वप्न
के अर्थ भी मालुम् होंगे....
पर इन स्वप्न के पूर्व कथा शायद सबको पता नही होंगी...
यह हम जानते है...
इन स्वप्न
के अर्थ भी मालुम् होंगे....
पर इन स्वप्न के पूर्व कथा शायद सबको पता नही होंगी...
*प्रभु महावीर जन्म से पहले माँ त्रिशला के सपनों की कथा*
*देवताओं द्वारा गर्भ परिवर्तन*
इंद्र की आज्ञानुसार हरि-णेगमेषी देव आधी रात को ब्राह्मण कुंड नगर पहुंचे। यहां सो रही देवानंदा की कोख से देवी शक्ति से गर्भ ले लिया और पास ही स्थित क्षत्रिय कुंड नगर में ज्ञातृ कुल के राजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला के पास पहुंचे। उसकी कोख से पुत्री रूपी गर्भ को बाहर निकाल भगवान गर्भ को स्थापित किया। पुत्री रूप गर्भ को ले जाकर देवानंदा के गर्भ में स्थापित कर दिया। इसे गर्भ की घटना कही गई है। इसके बाद रानी त्रिशला को 14 सपनों के दर्शन हुए।
इंद्र की आज्ञानुसार हरि-णेगमेषी देव आधी रात को ब्राह्मण कुंड नगर पहुंचे। यहां सो रही देवानंदा की कोख से देवी शक्ति से गर्भ ले लिया और पास ही स्थित क्षत्रिय कुंड नगर में ज्ञातृ कुल के राजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला के पास पहुंचे। उसकी कोख से पुत्री रूपी गर्भ को बाहर निकाल भगवान गर्भ को स्थापित किया। पुत्री रूप गर्भ को ले जाकर देवानंदा के गर्भ में स्थापित कर दिया। इसे गर्भ की घटना कही गई है। इसके बाद रानी त्रिशला को 14 सपनों के दर्शन हुए।
*देवानंदा द्वारा स्वप्न कथन*
तीर्थंकर आत्मा अंतिम भव में उच्च क्षत्रिय आदि जाति कुलों में ही जन्म लेती हैं। महावीर ब्राह्मणी के गर्भ से अवतरित होने वाले हैं। देव लोक के इंद्र इस बात से चौंके और ब्राह्मण कुंड में जन्म को रोका। देवानंदा की कोख से भगवान को क्षत्रिय कुंड नगर के राजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला के गर्भ में और त्रिशला के गर्भ को देवानंदा की कोख में रखने की बात कही। महावीर की पहली मां देवानंदा ने भी 14 सपने देखे। गर्भ परावर्तन के लिए देवानंदा अपने पति ऋषभ दत्त को सपनों की जानकारी देते हुए, च्यवन कल्याणक गर्भावतार तीर्थंकर ईश्वर,अरिहंत अंतिम भव से पहले जन्म में पशु पक्षी,मनुष्य और देव में से किसी एक गति में होते हैं। उस भव के खत्म होने पर,मनुष्य रूप में भारत की धरती पर जन्म लेते हैं। भगवान महावीर इस जन्म में आकाश में ऊंचाई पर विमान में देव रूप में थे। 50वें स्वर्ग लोक में 26 वां भव समाप्त करने के बाद वे पूर्वी भारत के वैशाली नगर के ब्राह्मण कुंड उपनगर के निवासी ऋषभ दत्त ब्राह्मण की पत्नी देवानंदा की कोख में गर्भ रूप में अवतरित होने वाले हैं।
रानी त्रिशला को 14 सपनों के दर्शन
आधी रात को कोख में भगवान का गर्भ स्थापित होने के बाद माता त्रिशला ने 14 सपने देखे थे।
उन्होंने सिंह, हाथी, वृषभ, लक्ष्मीदेवी,पुष्पमाला जोड़ी, चंद्रमा, सूर्य, ध्वजा,मंगल कलश, पद्म सरोवर, क्षीर सागर,देव विमान, रत्न राशि, निर्धूम अग्नि(भीषण आग)के सपने देखे।
तीर्थंकर आत्मा अंतिम भव में उच्च क्षत्रिय आदि जाति कुलों में ही जन्म लेती हैं। महावीर ब्राह्मणी के गर्भ से अवतरित होने वाले हैं। देव लोक के इंद्र इस बात से चौंके और ब्राह्मण कुंड में जन्म को रोका। देवानंदा की कोख से भगवान को क्षत्रिय कुंड नगर के राजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला के गर्भ में और त्रिशला के गर्भ को देवानंदा की कोख में रखने की बात कही। महावीर की पहली मां देवानंदा ने भी 14 सपने देखे। गर्भ परावर्तन के लिए देवानंदा अपने पति ऋषभ दत्त को सपनों की जानकारी देते हुए, च्यवन कल्याणक गर्भावतार तीर्थंकर ईश्वर,अरिहंत अंतिम भव से पहले जन्म में पशु पक्षी,मनुष्य और देव में से किसी एक गति में होते हैं। उस भव के खत्म होने पर,मनुष्य रूप में भारत की धरती पर जन्म लेते हैं। भगवान महावीर इस जन्म में आकाश में ऊंचाई पर विमान में देव रूप में थे। 50वें स्वर्ग लोक में 26 वां भव समाप्त करने के बाद वे पूर्वी भारत के वैशाली नगर के ब्राह्मण कुंड उपनगर के निवासी ऋषभ दत्त ब्राह्मण की पत्नी देवानंदा की कोख में गर्भ रूप में अवतरित होने वाले हैं।
रानी त्रिशला को 14 सपनों के दर्शन
आधी रात को कोख में भगवान का गर्भ स्थापित होने के बाद माता त्रिशला ने 14 सपने देखे थे।
उन्होंने सिंह, हाथी, वृषभ, लक्ष्मीदेवी,पुष्पमाला जोड़ी, चंद्रमा, सूर्य, ध्वजा,मंगल कलश, पद्म सरोवर, क्षीर सागर,देव विमान, रत्न राशि, निर्धूम अग्नि(भीषण आग)के सपने देखे।
*विशेष बात यह है की प्रभु महावीर की माता ने प्रथम स्वप्न में सिंह देखा। प्रभु आदिनाथ की माता ने प्रथम स्वप्न में ऋषभ देखा और शेष 22 तीर्थंकरों की माता ने प्रथम स्वप्न में गज राज (हाथी) देखा।*
उन्होंने पति सिद्धार्थ को 14 सपनों की जानकारी देकर उनका विस्तार से अर्थ जाना। राजा सिद्धार्थ और स्वप्न लक्षण ज्ञाताओं ने सपनों का अर्थ बताया,जिसमें त्रिशला की कोख से देव पुत्र जन्म की बात आई।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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THANKS FOR VISITING.
Jai jinendra
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