मूलनायक : भगवान महावीर स्वामी की पद्मासन की मुद्रा लगभग 210 सेंटीमीटर ऊँची श्वेत मूर्ति।
तीर्थ : नांदिया गांव में ही चारों तरफ सुन्दर हरे पेड़ों से ढकी पहाड़ियों से घिरा मनोरम स्थल/जैन तीर्थ।
इतिहास : नांदिया गांव का प्राचीन नाम 'नंदीवर्धनपुर' था, जो की भगवान महावीर के बड़े भाई नंदीवर्धन के नाम पर रखा गया था। भगवान महावीर की मूर्ति वर्ष 1130 से 1210 के मध्य की मानी जाती है, जो अपने आप में सबसे अलग है, जिन्हें जीवित महावीर स्वामी 'Living God' भी कहा जाता है। मूर्ति के चरणों में बने सर्प के आकार को दंतकथाओं के अनुसार सर्प चंद्रकौशिक माना जाता है, जिसे भगवान महावीर स्वामी ने इसी नांदिया ग्राम की पूण्य धरा पर धर्मोपदेश दिया था। राणकपुर तीर्थ को के बनाने वाले धरना शाह और रत्न शाह भी नांदिया के ही मूल निवासी थे।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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