पर्यूषण पर्व (Paryushan Parv) क्या है ?
पर्यूषण पर्व , जैन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है. श्वेताम्बर जैन इसे 8 दिन तक और दिगंबर जैन 10 दिन तक मनाते हैं . इस दौरान लोग पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या, उपवास आदि में अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं .
इस पर्व का आखिरी दिन क्षमावाणी दिवस (Kshamavani Divas) के रूप में मनाया जाता है जिसमे हर किसी से “ मिच्छामी दुक्कड़म ” कह कर क्षमा मांगते हैं .
“ मिच्छामी दुक्कड़म ” का शाब्दिक अर्थ है , “ जो भी बुरा किया गया है वो फल रहित हो ” “ may all the evil that has been done be fruitless. “
‘ मिच्छामी’ का अर्थ क्षमा करने से और ‘ दुक्कड़म ’ का बुरे कर्मों से है. अर्थात मेरे बुरे कर्मों के लिए मुझे क्षमा कीजिये .
ये sorry कहने जैसा नहीं है , सॉरी तो हम हर दूसरी बात में बोल देते हैं; ये उससे कहीं बढ़ कर है , क्योंकि यहाँ क्षमा ह्रदय से और हर तरह की गलती के लिए मांगी जाती है, फिर चाहे वो शब्दों से हुई हो या विचारों से , कुछ करने से हुई हो या अकर्मण्य बने रहने से , जानबूझकर की गयी हो या अनजाने में। …. किसी भी प्रकार से यदि मैंने आपको कष्ट पहुँचाया है तो मुझे क्षमा करिए …. मिच्छामी दुक्कड़म।
कितनी अच्छी चीज है ये …एक ऐसा दिन जब आप दिल से हर किसी से अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं . आप ये नहीं देखते हैं की सामने वाला कौन है , आपसे बड़ा है या छोटा ,उसका ओहदा क्या है …यहाँ तो बस आप अपने ego को ख़त्म करते हैं और क्षमा मांगते हैं .
ऐसा करना निश्चित रूप से हमारी आत्मा को शुद्ध बनाता है , एक सुकून सा देता है , दिल पर रखा बोझ ख़त्म करता है और संबंधों को प्रगाढ़ बनाता है .
पर क्षमा तो कभी भी मांग सकते हैं इसके लिए एक ख़ास दिन क्यों ?
गलती करना आसान होता है पर उसे accept करना और उसके लिए क्षमा माँगना इतना आसान नहीं होता …हमारा EGO आड़े आ जाता है , और यही बात क्षमा करने पर भी लागू होती है….लेकिन जब इसी काम के लिए कोई ख़ास दिन रख दिया जाता है तो उस दिन पूरा वातावरण “क्षमा मांगने ” और “क्षमा करने ” के अनुकूल बन जाता है और हम ऐसा आसानी से कर पाते हैं .
“ मिच्छामी दुक्कड़म ” ( Micchami Dukkadam) BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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