ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जानिए महारानी त्रिशला के 14 शुभ स्वप्न भगवान महावीर का जन्म कल्याणक




माता त्रिशला के 14 शुभ स्वप्न  भगवान महावीर के जन्म से पूर्व एक बार महारानी त्रिशला नगर में हो रही अद्भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं, यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई, उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने सोलह शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे। वह आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन था। सुबह जागने पर रानी के महाराज सिद्धार्थ से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की। राजा सिद्धार्थ एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के भी विद्वान थे। उन्होंने रानी से कहा कि एक-एक कर अपना स्वप्न बताएं। वे उसी प्रकार उसका फल बताते चलेंगे, तब महारानी त्रिशला ने अपने सारे स्वप्न उन्हें एक-एक कर विस्तार से सुनाएं। आइए जानते है भगवान महावीर के जन्म से पूर्व महारानी द्वारा देखे गए चौदह अद्भुत स्वप्न :- 

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पहला स्वप्न :- स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया : उनके घर एक अद्भुत पुत्र-रत्न उत्पन्न होगा। 

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दूसरा स्वप्न : श्वेत वृषभ। फल : वह पुत्र जगत का कल्याण करने वाला होगा। 

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तीसरा स्वप्न : श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह। फल : वह पुत्र सिंह के समान बलशाली होगा। 

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चौथा स्वप्न : कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी। फल : देवलोक से देवगण आकर उस पुत्र का अभिषेक करेंगे।

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पांचवां स्वप्न : दो सुगंधित पुष्पमालाएं। फल : वह धर्म तीर्थ स्थापित करेगा और जन-जन द्वारा पूजित होगा। 

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छठा स्वप्न : पूर्ण चंद्रमा। फल : उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे। 

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सातवां स्वप्न : उदय होता सूर्य। फल : वह पुत्र सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धार करने वाला होगा। 

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आठवां स्वप्न : लहराती ध्वजा । यह पुत्र सारे विश्व में धर्म की पताका लहराएगा । 

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नौवां स्वप्न : कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश। फल : वह पुत्र अनेक निधियों का स्वामी निधिपति होगा। 

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दसवां स्वप्न : कमलों से भरा पद्म सरोवर। फल : एक हजार आठ शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र प्राप्त होगा। 

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ग्यारवाँ स्वप्न : हीरे-मोती और रत्नजडि़त स्वर्ण सिंहासन। फल : आपका पुत्र राज्य का स्वामी और प्रजा का हितचिंतक रहेगा। 

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बाहरवा स्वप्न : स्वर्ग का विमान। फल : इस जन्म से पूर्व वह पुत्र स्वर्ग में देवता होगा। 

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तेहरवां स्वप्न : रत्नों का ढेर। फल : यह पुत्र अनंत गुणों से सम्पन्न होगा। 

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चौहदवां स्वप्न : धुआंरहित अग्नि। वह पुत्र सांसारिक कर्मों का अंत करके मोक्ष (निर्वाण) को प्राप्त होगा। पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला को ज्ञात हो गया...उनके घर एक ऐसी आत्मा जन्म लेने वाली है...जो युगों युगों तक तीनों लोको को अपने कल्याणमयी संदेश से लाभान्वित करती रहेगी । प्रभु का जन्म होने वाला है...ख़ुशी अपार आई है...आओ झूमों नाचो गाओ...

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