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ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......
जिसके अंतर्मन में भगवान् विराजमान हों,
वो उनसे कुछ मांगने की मूर्खता नहीं करता.
यदि अंतर्मन में भगवान् विराजमान हैं तो वो मांगेगा नहीं,
और यदि विराजमान नहीं हैं, तो मांग भी किस से रहा है?
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