ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

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एक कुएँ में एक मेंढ़क था| कूआ 30 फूट गहरा था| कूएँ के तलमें रहा हुआ मेंढ़क हर रोज़ दिन में तीन फूट उपर चढ़ता था और रात्रि की निंद में दो फूट नीचे उतर जाता था, तो वह कितने दिन में बाहर निकलेगा ? जवाब है 29 दिन में !

किन्तु ज्यादातर परिस्थिति अलग है | पर्वाधिराज जैसे पर्व दिनोमें आराधना करके दो फूट उँचाई पर आकर उसके बाद दुगुने जोर से अभक्ष्य भोजन, होटेल भोजन, रात्रि भोजन, अनीति इत्यादि में जूटकर तीन फूट नहीं, तीस फूट नीचे उतर जाने वाला दुर्भागी उसमें से बहार कब निकलेगा? इस तरह दो कदम आगे बढ़कर तीन कदम पीछे हटने वाले के मार्ग में मोक्ष नाम का दिल्ही दूर नहीं किन्तु दिल्ही नाम का स्टेशन ही नहीं है|

उसी तरह पर्युषण में भी उपवासादि तप करके हम दो फूट आगे बढ़ते हैं| किन्तु बादमें क्रोध करके या तो टी.वी. के सामने बैठकर, प्रवचन सुनने के स्थान पर विडियोगेम खेलकर तीन फूट पीछे हटते हैं| अब आप ही कहो, दिल्ही कब पहुँचेंगे ?
इसलिए
१) पर्वाधिराज के दिनोमें ऐसे पाप न हो जाए उसका ध्यान रखना चाहिए|
२) बादमें पापप्रवृत्तिओ में दुगुने जोर से जूटना न हो जाए उसकी जागृति रखना आवश्यक है |


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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