ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

Shankeshwar Tirth



ज्यारे सतावे क्रोध मुजने क्षमा बनी पधारजो , 
ज्यारे डरावे लोभ मुजने संतोषथी समजावजो , 
ज्यारे डरावे मान मुजने नम्रताथी नमावजो , 
हे नाथ शंखेश्वर सेवकनी विनंति अवधारजो।


*हे शंखेश्वर पार्श्व प्रभु!*
मेरे *पैरों* में इतनी *शक्ति* देना कि *दौड़~दौड़* कर *आपके दरवाजे* आ सकूँ।
मुझे एेसी *सद्बुद्धि* देना कि *सुबह-शाम* घुटने के बल बैठकर आपको *प्रणाम* कर सकूँ।
१०० साल *जीऊँ* या पचास साल यह आपकी *मर्जी।*
मेरी *अर्जी* तो सिर्फ इतनी है
कि
*जब तक जीऊँ, जिह्वा पर आपका नाम रहे, देने में मेरे हाथ कभी थके नहीं।*
*मेरे पार्श्व मालिक!*
*प्रेम* से भरी हुई *आँखें* देना,
*श्रद्धा* से झुुका हुआ *सिर* देना,
*सहयोग* करते हुए *हाथ* देना,
*सत्पथ* पर चलते हुए *पाँव* देना
और
*सिमरण* करता हुआ *मन* देना।
*हे शंखेश्वर प्रभु!*
अपने *बच्चों* को अपनी *कृपादृष्टि* देना, *सद्बुद्धि* देना।
*🙏🏻पल पल साथ रहना शंखेश्वर पार्श्व प्रभु 🙏🏻*🙏🏻🙏🏻


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