ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

प्रश्न: तीर्थंकर कितने द्वीपों में होते हैं ?

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प्रश्न: तीर्थंकर कितने द्वीपों में होते हैं ?

उत्तर: तीर्थंकर अढ़ाई द्वीप( जम्बुद्वीप, घातकीखंड और अर्द्ध पुष्कर द्वीप ) में होते हैं ।

प्रश्न: अढ़ाई द्वीप में कम से कम तीर्थंकर कितने होते हैं ?

उत्तर: अढ़ाई द्वीप में जघन्य ( कम से कम ) बीस तीर्थंकर होते हैं। वर्तमान में सीमंधर स्वामी आदि बीस तीर्थंकर हैं ।

प्रश्न: जघन्य तीर्थंकर अढ़ाई द्वीप में कहाँ होते हैं ?

उत्तर: महाविदेह क्षेत्र में जघन्य बीस तीर्थंकर होते हैं ।

प्रश्न: जघन्य बीस तीर्थंकर किस समय होते हैं ?

उत्तर: जब भरत क्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र में एक भी तीर्थंकर नहीं होते उस समय एक एक महाविदेह क्षेत्र में 4-4 तीर्थंकर होते हैं। इस तरह पांच महाविदेह क्षेत्र में कुल 20 तीर्थंकर जघन्य पद में होते हैं।

प्रश्न: उत्कृष्ट तीर्थंकर कितने होते हैं ?

उत्तर: अढ़ाई द्वीप में उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर होते हैं ।

प्रश्न: अढ़ाई द्वीप में जघन्य( कम से कम) और उत्कृष्ट( अधिक से अधिक ) तीर्थंकर कितने होते हैं ?

उत्तर: अढ़ाई द्वीप में जघन्य 20 तीर्थंकर और उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर हो सकते हैं ।

प्रश्न: उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर किस प्रकार होते हैं ?

उत्तर : महाविदेह क्षेत्र में सदाकाल एक समान भाव ( चौथे आरे के समान ) वर्तते हैं। वहाँ सदैव तीर्थंकर भगवंत होते हैं। महाविदेह क्षेत्र विस्तृत है।एक महाविदेह क्षेत्र में 32 विजय( विभाग) हैं ।अतः पाँच महाविदेह की कुल 32×5= 160 विजय होती है। किसी समय प्रत्येक विजय में एक एक तीर्थंकर हो तो कुल 160 तीर्थंकर होते हैं। उसी समय 5 भरत और 5 ऐरावत क्षेत्र में भी 5-5 तीर्थंकर हों तो कुल 160+10= 170 तीर्थंकर उत्कृष्ट रूप में होते हैं। इस तरह अढ़ाई द्वीप में उत्कृष्ट 170 तीर्थंकर कहे हैं।

प्रश्न: ऐसे उत्कृष्ट तीर्थंकर वर्तमान चौबीसी में किस समय हुए ?

उत्तर: दुसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी के समय में उत्कृष्ट तीर्थंकर हुए ।


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