ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......


गुण न हो तो रुप व्यर्थ है।
नम्रता न हो तो शिक्षा व्यर्थ है।
सदुपयोग न हो तो धन व्यर्थ है।
होश न हो तो जोश व्यर्थ है।
साहस न हो तो शस्र व्यर्थ है।
बुद्धि न हो तो बल व्यर्थ है।
करुणा न हो तो जीवन व्यर्थ है।
सम्यक् ज्ञान न हो तो मानव भव व्यर्थ है।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.