आंसुओ को तू लिखना समन्दर... हार छुपा के रखना मेरी, मेरी जीत को लिखे सिकंदर... पीड़ मेरी तू लिख न लिख, दिल को मेरे मंदिर लिखना... मेरी नजरे झुके पार्श्व चरण में.. ह्रदय रहे भैरू शरण में नश्वर...!! जय जिनेन्द्र
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