ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

श्री विमलनाथ दादा


विमलनाथ जी जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर हैं। प्रभु विमलनाथ जी का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भाद्रपद नक्षत्र में कम्पिला में हुआ। विमलनाथ जी के शरीर का रंग सुवर्ण (सुनहरा) और चिह्न शूकर था।

विमलनाथ जी का जीवन परिचय (Life of Jain Tirthankar Vimalnath Ji)

कालक्रम के अनुसार विमलनाथ जी ने राजपद का दायित्व भी निभाया। दीक्षावन में जामुन वृक्ष के नीचे तीन वर्ष तक ध्यानारूढ़ होकर भगवान, माघ शुक्ल षष्ठी के दिन केवली हो गये। अन्त में सम्मेद शिखर पर जाकर एक माह का योग निरोध कर आठ हजार छह सौ मुनियों के साथ आषाढ़ कृष्ण अष्टमी के दिन निर्वाण प्राप्त किया। ।

भगवान विमलनाथ के चिह्न का महत्त्व (Jain Trithankar Vimalnath Ji - Importance of Symbol)

भगवान विमलनाथ का चिह्न शूकर है, जो मलिनता का प्रतीक है। मलिन वृत्ति वाला पशु विमलनाथ भगवान के चरणों में जाकर आश्रय लेने पर शूकर 'वराह' कहलाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी वराह का रूप धारण कर राक्षसों का अंत किया था। दृढ़ता एवं सहिष्णुता की शिक्षा हमें शुकर के जीवन से मिलती है।


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Mysore Suvidhinath Jinalya


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श्री नाकोडा पार्श्वनाथ – श्री नाकोडा तीर्थ राजस्थान



श्री नाकोडा पार्श्वनाथ
कहा जाता है की पूर्व तीसरी शताब्दी में श्री वीरसेन व नाकोर्सें भागयवान बंधुओ ने अपने नाम पर बीस मील के अन्तर में वीरमपुर व नाकोरनगर ग़ाव बसाए थे | श्री वीरसेन ने वीरमपुर में श्री चन्द्रप्रभ भगवान का व नाकोर्नगर में श्री सुपार्श्वनाथ भगवान का मंदिर निर्मित करवाकर परमपूजय आचार्य श्री स्थूलिभ्द्रस्वामीजी के सुहास्ते प्रतिष्ठा संपन्न करवाई थी |
वि. सं. ९०९ में वीरमपुर शहर , सुसंपन्न श्रावको के लगभग २७०० घरो की आबादी से जगमगा रहा था |उस समय शेस्ती श्री हराख्चंदजी ने प्राचीन मंदिर का जिनोर्र्द्वर करवाकर श्री महावीर भगवान के प्रतिमा की प्रतीष्टा करवाई थी |एक और मानयतानुसार यह प्रतिमा, भागयवान्सुश्रावक श्री जिनदत को श्री अधिष्टायक देव द्वारा स्वप्न में दिए संकेत के आधार पर नाकोर्नगर के निकट सीन्दरी ग़ाव के पास एक तालाब से प्रकट हुई थी |
वि.सं. ९०९ में वीरमपुर सुसंपन्न श्रावको के लगभग २७०० घरो की आबादी से जगमगा रहा था| उस समय शेष्टि श्री हरखचंदजी ने प्राचीन मंदिर का जिणोरद्वार करवाकर श्री महावीर भगवान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करवायी थी, ऐसा उल्लेख है| वि.सं. १२२३ में पुन: जिणोरद्वार करवाने का उल्लेख मिलता है| वि.सं. १२८० में आलामशाह ने इस नगर पर भी चढ़ाई की| तब इस मंदिर को भारी श्रति पहुंची| वि. की लगभग १५वि शताब्दी के आरम्भ में इस मंदिर के नवनिर्माण का कार्य पुन: प्रारंभ किया गया| कालिद्रह में स्थित नाकोरनगर की १२० प्राचीन प्रतिमाएं यहाँ लाकर उसमे से श्री पार्श्वनाथ भगवान की इस सुन्दर चमत्कारी प्रतिमा को मुलनायक के रूप में इस नवनिर्मित मंदिर में वि.सं. १४२९ में पुन: प्रतिष्टित की गयी, जो अभी विधमान है| मूल प्रतिमा नाकोरनगर की रहने के कारण इस तीर्थ का नाम नाकोडा प्रचलित हुआ|
सं. १५६४ में ओसवाल वन्सहज गोत्रीय सेठ जुठिल के परपौत्र सेठ सदरंग द्वारा जिणोरदवा होने का उल्लेख है| वि.सं. १६३८ में इस मंदिर के पुनरुध्वार होने का उल्लेख है| लगभग सत्रहवी शताब्दी तक यहाँ की जहोजलाली अच्छी रही| इसके बाद शेष्टि मालाशाह संकलेचा के भ्राता सही नानकजी ने यहाँ के राजकुमार का अप्रिय व्यवहार देखकर गाँव छोड़ने का निर्णय लिया| अत: जैसैलमेर का संघ निकालकर सारे जैन कुतुम्बिजनो के साथ गाँव छोडकर चले गए|
उसके पश्चात इस गाँव की जनसंख्या दिन प्रति दिन घटने लगी| आज जैनियों का कोई घर नहीं है, लेकिन श्रीसंघ द्वारा हो रही तीर्थ की व्यवस्था उल्लेखनीय है| सत्रहवी सदी के बाद सं. १८८६५ में जिणोरद्वार होने का उल्लेख है| इसके पश्चात श्री समय-समय पर आवश्यक जिणोरद्वार हुए|
परमपूज्य श्री स्थूलीभद्रस्वामीजी द्वारा प्रतिष्टित इस तीर्थ की महान विशेषता है| पार्श्वप्रभु की प्राचीन प्रतिमा सुन्दर व अति ही चमत्कारी है| यहाँ मंदिर के अतिरिक्त कोई घर नहीं है| परन्तु यात्रियों का निरंतर आवगमन रहने के कारण यह स्थल नगरी सा प्रतीत होता है| प्रतिवर्ष श्री पार्श्वप्रभु के जन्मकल्याणक दिवस पौष कृष्ण दशमी को विरत मेले का आयोजन होता है|


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દાદા શાંતિનાથ....જય જય દાદા શાંતિનાથ



જેમ એક પુષ્પ માં સુવાસ વસેલી છે , તેમ હે પ્રભુ ! મારા મનડા માં આપ સમાઈ જાઓ !
જેમ એક માછલી જળ વિણ નથી રહી શકતી , તેમ હે પ્રભુ ! હું પણ આપના વગર અનાથ છું !
હે દેવાધિદેવ ! મુઝ જેવો આ નિર્લજ્જ પાપી તારા ગુણો ના શું વખાણ કરે ?
હે કરુણાસાગર ! આ ભવ માં અનેક અનેક પાપો કર્યા , પણ તારા દર્શન કરી ને જે ચિત્ત માં સુખ ની ઉત્પત્તિ થઇ છે તે વર્ણવા ની શક્તિ મુઝ માં નથી ..
બસ એક અજ પ્રાર્થના છે ..ભવો ભવ તુમ ચરણો ની સેવા ! હું તો માંગુ છુ દેવાધીદેવા !.....🌹जय जिनेन्द्र 
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shri santinath bhagwan, [ 2300 years prachin pratima ji ] Shri santinath bhagwan jinalay, Shri darbhavati tirth, Dabhoi. Vadodara....


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Shri Suvidhi Nath Bhagwan



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Shamliya Parshwnath Dada , Tirth, Kutch


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પાર્શ્વનાથ દાદા


જ્યારે જ્યારે દઝાડે છે તાપ આ સંસાર નો
ત્યારે ત્યારે માત્ર તારા એક દર્શન પૂનમ ના
ચાંદ જેવી શીતળતા આપે છે.
માત્ર આપનુ સુંદર મુખડું .
પાર્શ્વનાથ દાદા ને હજારો વંદન.
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Suvidhinath bhagwan, Patwa Jain mandir, Nashik.



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શ્રી સુવિધિનાથ ભગવાનની આંગી - માધાપર - કચ્છ - ગુજરાત


સુવિધિનાથ નવમા નમું, સુગ્રીવ જસ તાત;
મગર લછંન ચરણે નમું, રામા રૂડી માત.
આયુ બે લાખ પૂર્વતણું, શત ધનુષ્યની કાય;
કાકંદી નગરી ધણી, પ્રણમું પ્રભુ પાય.
ઉત્તમ વિધિ જેહથી લહ્યોએ, તેણે સુવિધિ જિન નામ;
નમતાં તસ પદ પદ્મને, લહિયે શાશ્વત ધામ.
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24 bhagwan ke peeche naamkaran ke karan




24 bhagwan ke peeche naamkaran ke karan

1pratham rishab ka swapna aur lanchan dekhkar rishab naam pada

2chopat pase ke khel me garbh ke prabhav se raja rani ki jeet hoti isliye Ajit naam pada

3Desh me dhan dhanya ka samuh me utpan hua dekhkar Sambhav naam pada

4Garbh ke samay indro ne aakar barbar abhinandan kiya isliye Abhinandan naam pada

5Rajkariya me kuch problem ke karan rani ko kuch sumati suji isliye Sumati na pada

6Padma kamal ki saiya per sone ka dohad utpan hua aur padm ke saman sarir dekhkar Padma naam pada

7Rani ke sparsh se raja ki pasaliya sidhi ho gayi isliye Suparsva naam pada

8Chandrama khane ke dohad se aur chandra ke saman sarir dekhkar Chandraprabu naam pada

9Rani ko subudhi hui aur puspa ke saman dant dekhkar Suvidhinath aur puspadant naam pada

10Rani ke hath ke sparsh se raja ka dahjwar rog hatne se Sheetalnath naam pada

11bahut logo ka sreya karne se aur devadhi saiya sayan karne se Sreyans naam pada

12Vasuindra ne vasudravya ki vrusti ki isliye Vasupujya naam pada

13Garbh me aane per mata ki budhi nirmal hone se Vimalnath naam pada

14RajaSihasen ne anant balsali satru ki sena ko jeet liya isliye Anantnath naam pada

15Mata pita ko dharm per dhrad priti hone ke karan Dharmnath naam pada

16Desh me mahamari ka updrav sant hone ke karan Shantinath naam pada

17Garbh me mata ne kunthu naam ka ratnasanchay dekha isliye Kunthu naam pada

18mata ko garbh me Ratnamay aara dikha isliye Arnath naam pada

19.mata ne sabhi ruthu ki mala pehni isliye Mallinath naam pada

20Bahut bolne wali mata ne garbh me maun rehne ke karan Munisuvrat naam pada

21sab vairiyo ke namhe jane se Naminath naam pada

22Aristha ratna ki nidhi swapna me dekhne ke karan Aristhanemi naam pada

23Andkar me sarp ko pass se jate dekhkar Parsva naam pada

24Rajya me dhan dhanya ki vrudhi dekh Vardhman naam pada!

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Shri Shastraphana Parshvnath dada at Gopipura Surat


*धर्म का अर्थ क्या है?*
*क्या मंदिर जाना है?* *तपस्या करना?*
*तिथि पाड़ना?*
*कंदमुल का त्याग*?
*क्या सामयिक, प्रतिक्रमण और यात्रा करना है?*
*असल में इन चीजों का उद्देश्य स्वभाव को बदलना है ..*
*लेकिन अक्सर लोग जीवन भर यह क्रियाऐं करते हैं।*
*लेकिन वे अपने अहंकार को छोड़कर सरल नहीं बन सकते हैं।*
*क्रोध या जुनून छोड़कर विनम्र नहीं बन सकते है।*
*ईर्ष्या छोड़कर उदार नहीं हो सकते*
*जब तक कि व्यक्ति अपनी आत्मा को बदलने के लिए दृढ़ निश्चय नहीं करता है, तब तक कठोर सच्चाई यह है कि कोई भी भगवान, गुरु या धर्म कुछ भी भला नहीं कर सकते।*
*महावीर, जैसे सर्व शक्तिशाली जमाली, गोशालक या संगमदेव को भी नहीं बदल सके।*
*इसलिए सबसे पहले अपनेआप को बदलो*
*स्वभाव बदलो*
*और भाव बदलों ..*
*तभी भव बदलेगा*
*परिणाम तभी मिलेगा*
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मुट्ठी दुआओं की


*मुट्ठी दुआओं की* 
*माता-पिता ने* 
*चुपके से सिर पर छोड़ दी...* 
_*खुश रहो*_... *कहकर*

*और हम, नासमझ, जिंदगी भर* 
*मुक़द्दर का अहसान मानते रहे...*
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पर्युषण से पहले पहले.... 🙏🙏 मिच्छामी दुक्कडम् 🙏🙏


जरा सा मुस्करा देना
पर्युषण से पहले पहले....
हर गम को भुला देना
पर्युषण से पहले पहले...
सब को माफ़ कर देना
पर्युषण से पहले पहले...
इसलिए दिल को साफ कर लेना
पर्युषण से पहले पहले....
आसान कर दिया
किसी से माफ़ी मांगली तो 
किसी को माफ़ कर दिया
पर्युषण से पहले पहले....
ना सोचो किसने दिल दुखाया
क्या..? पता फिर मौका मिले ना मिले
कुछ इस तरह मैंने जिंदगी को
🙏🙏 मिच्छामी दुक्कडम् 🙏🙏


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।।। संपत्ति ।।।


🙏🙏🙏प्रणाम 🙏🙏🙏🙏
।।। संपत्ति ।।।
*संपत्ति का उपयोग अपने वैभव - विलास पर खर्च ना करो यह तो पक्का है । पर वह संपत्ति किसी भी गलत जगह भी खर्च ना हो जाए यह भी देखना है ।*
*नाँव में यदि नदी का पानी आ जाए तो तुरंत पानी निकालने की व्यवस्था करने से नाँव बच सकती है । ऐसा ही हाल हमारे जीवन में संपत्ति का है ।धर्म में उपयोग कर लो । संपत्ति और जीवन दोनों नहीं डूबेंगे ।*
*कभी हम सुकृत नहीं कर सकते , कभी कोई करने नहीं देता ।*
*जब भी हो जितना भी हो सुकृत जरूर करना । कीमत या रकम मत देखना । जितनी शक्ति हो सुकृत करते रहना ।*
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सत्य हमेशा पानी में तेल की एक बूँद के समान होता है


*सत्य हमेशा पानी में तेल की एक बूँद के समान होता है*
*आप कितना भी पानी डालें वह हमेशा ऊपर ही तैरता है*
*इसलिए सच्चाइयाँ और सच्चे सम्बन्ध हमेशा क़ायम रहते हैं...!!*
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सत्य को कहने के लिए


*सत्य को कहने के लिए किसी,*
*शपथ की जरूरत नहीं होती।*

*नदियों को बहने के लिए किसी,*
*पथ की जरूरत नहीं होती।*

*जो बढ़ते हैं जमाने में,*
*अपने मजबूत इरादों के बल,*

*उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,*
*किसी रथ की जरूरत नहीं होती।*
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मोक्ष की चार दिवारी



*मोक्ष की चार दिवारी में वही प्रवेश*
*कर सकता है.....जो अपनी चार* 
*दीवारों को तोड़ सकता है*.....
*वो 4 दीवारें* *हैं ..क्रोध...लोभ....मोह*...
*और ...अहंकार* 

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पारस हैं तु, मुझे पारस बना,



पारस हैं तु, मुझे पारस बना,
अपने वैभव का वारीस बना ।
समरत हैं तु, कर आशा पुरी,
नश्वरता हर, मुझे शाश्वत बना ॥
पारस हैं तु, मुझे पारस बना..

प्रभु मैं हुं कण तेल का, तु हैं अलौकिक प्रकाश,
तेरी तरफ मैं बढ़ता चला, कर मेरे अंतर्मन में उजास ।
अवगुण मेरे कर दे भस्म तु, दिव्य बना मुझे तेजस बना,
पारस हैं तु, मुझे पारस बना, अपने वैभव का वारीस बना ॥

मैं जड़ हुं, पत्थर हुं मैं, कर्मानुओ से बंधा,
चेतन हैं तु, शुद्ध बुद्ध तु प्रभु, घड़ आत्मा का स्वरूप मेरा ।
शिल्पी बनकर तु तराश मुझे, अपने जैसा जस का तस बना,
पारस हैं तु, मुझे पारस बना, अपने वैभव का वारीस बना ॥

मैं बिंदु, सिंधु हैं तु, तुझमें मिल जाना मुझे,
अपना वजूद मिटाकर के भी, प्रभु तुझमें ही अब समाना मुझे ।
तुझमें मुझमें अंतर ना रहे, ऐसा मेरे लिए मार्ग बना,
पारस हैं तु, मुझे पारस बना, अपने वैभव का वारीस बना ॥

जीर्ण शीर्ण है आत्मा मेरी, कर दो भव्य जीर्णोद्धार,
जीरावला पार्श्व एक तु, भक्तों का तारक, उद्धारक, आधार ।
करुणा नजर मुझपे करदे प्रभु, मेरे लिए दिल में अमिरस बना,
पारस हैं तु, मुझे पारस बना, अपने वैभव का वारीस बना ॥

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धन्यवाद के शब्द जितने ज्यादा बोले

धन्यवाद के शब्द जितने ज्यादा बोले और फरियाद के शब्द जितने कम बोले तोही relations maintain होते है. 
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प्रभु का नाम तो भव सागर से तारने वाला है


*प्रभु का नाम तो भव सागर से तारने वाला है,*

*सच मे हम भगवान नाम का जप एंव आश्रय तो लेते है पर भगवान नाम मे पूर्ण विश्वाव एंव श्रद्धा नही होने से हम इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नही कर पाते..*
*शास्त्र बताते है कि भगवान का एक नाम इतने पापो को मिटा सकता है जितना कि एक पापी व्यक्ति कभी कर भी नही सकता..*
*अतएव भगवान नाम पे पूर्ण श्रद्धा एंव विश्वास रखकर ह्रदय के अंतकरण से भाव विह्वल होकर जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ के लिए बिलखता है ..उसी भाव से सदैव नाम प्रभु का सुमिरन एंव जप करे*
*कलियुग केवल नाम अधारा !*
*सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!*
🙏🙏

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परमात्मा भाग्य नहीं लिखता


परमात्मा भाग्य नहीं लिखता,*
*जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे बोल, वह हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं |*

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जो झुकता है भाव से


जो झुकता है भाव से परमात्मा चाहतें हैं उसे बड़े चाव से......🌹🌹
*सदा झुकने वाले को उठाने के लिए प्रभु स्वयं चले आते हैं, इसलिए सिर्फ गर्दन ही नही हमारे मन का भी झुकना जरूरी है

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ઊંચું સ્થાન હંમેશાં અસ્થિર હોય છે


*ઊંચું સ્થાન હંમેશાં અસ્થિર હોય છે,*
*એટલે જ ધ્વજા 🚩ફરકે છે...*

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"फलदार पेड़ और गुणवान* *व्यक्ति ही झुकते है




*🍃"फलदार पेड़ और गुणवान*
*व्यक्ति ही झुकते है,*
*सुखा पेड़ और मुर्ख* 
*व्यक्ति कभी नहीं झुकते ।*
*कदर किरदार की होती है*
*… वरना…कद में तो साया भी*
*इंसान से बड़ा होता है..!!"🍃.*

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Simdhar Swami


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બધાં દુ:ખ દૂર થયા પછી મન પ્રસન્ન થશે એ તમારો ભ્રમ છે*
*મન પ્રસન્ન રાખો બધાં દુ:ખ દૂર થઈ જશે..... એ હકીકત છે...*
🙏🙏🙏🙏🙏

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