ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

तीर्थंकर परमात्मा अचिन्त्य सम्पन्न होने पर भी वे कुछ ही भव्य जीवों का योगक्षेम कर सकते हैं समस्त भव्य जीवों का क्यों नहीं ?

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तीर्थंकर परमात्मा अचिन्त्य सम्पन्न होने पर भी वे कुछ ही भव्य जीवों का योगक्षेम कर सकते हैं समस्त भव्य जीवों का क्यों नहीं ?

कोई भी तीर्थंकर परमात्मा समस्त भव्य जीवों का योगक्षेम नहीं कर सकते है। यदि एक ही तीर्थंकर परमात्मा से समस्त जीवों का योगक्षेम हो जाता तो समस्त भव्य जीवों की मुक्ति हो जाती, क्योंकि योगक्षेम से मुक्ति साध्य होती है। अतः भूतकाल में ही किसी तीर्थंकर परमात्मा के द्वारा सर्व भव्यों को पूर्वाक्त बीजाधान अंकुरोत्पत्ति - पोषण इत्यादि का योगक्षेम हो जाने पर एक पुद्गल परावर्त काल के भीतर ही समस्त भव्य जीवों की मुक्ति हो गई होती। अतः जीवों को अपने भवितव्यता के आधार पर ही उनका योगक्षेम काल परिपाकानुसार होता है।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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