जाप-ॐ र्हीं श्री पद्मप्रभु स्वामी परमेष्टिने नमः
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जे चौद महा स्वप्नो थकी, निज मातने हरखावता,
वळी गर्भमांही ज्ञानत्रयने, गोपवी अवधारता,
ने जन्मतां पहेला ज चोसठ, इन्द्र जेने वंदता,
एवा प्रभु अरिहंत ने, पंचांग भावे हुं नमुं ।
BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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