फागण की फेरी क्यो ?
कितने सालों से चली आ रही है ?
छ गाउं की यात्रा में कौन से स्थल आते है ।
यानी मंदिर .
भगवान नेमिनाथ के
समय मे हुए .
कृष्ण महाराजा के
पुत्रों में शाम्ब और प्रध्युमन
नाम के दो पुत्र थे .
भगवान नेमीनाथ की पावन वाणी सुनकर .
शाम्ब -प्रध्युमन जी को वैराग्य हुआ .
भगवान के पास
दीक्षा लेकर भगवान की आज्ञा लेकर
शत्रुंजय गिरिराज उपर
तपस्या और ध्यान करने लगे .
अपने सभी कर्मो से
मुक्त होकर .....
फागण सुदी तेरस के दिन
शत्रुंजय गिरिराज पर स्थित
भाडवा के डुंगर उपर से
मोक्ष - मुक्ति पाये थे.
उन्हीं के दर्शन करने के लिए .
लगभग
84 हजार वर्षों से
यह फागण के फेरी चल रही है .
फागण के फेरी में आते हुए
दर्शन के स्थल.
दादा के दरबार मे से
निकलने के बाद
रामपोल दरवाजे से
छ गाउ की यात्रा प्रारंभ होती है .
उसमें 5 दर्शन के स्थल है
1 - 6 गाउ की यात्रा प्रारंभ होती ही 100 पगथिया के बाद ही
देवकी माता के 6 पुत्र का
समाधि मंदिर आता है
वो इसी स्थान से मोक्ष गयें थे .
[कृष्ण महाराज के 6 भाई का मंदिर]
यानी मंदिर .
भगवान नेमिनाथ के
समय मे हुए .
कृष्ण महाराजा के
पुत्रों में शाम्ब और प्रध्युमन
नाम के दो पुत्र थे .
भगवान नेमीनाथ की पावन वाणी सुनकर .
शाम्ब -प्रध्युमन जी को वैराग्य हुआ .
भगवान के पास
दीक्षा लेकर भगवान की आज्ञा लेकर
शत्रुंजय गिरिराज उपर
तपस्या और ध्यान करने लगे .
अपने सभी कर्मो से
मुक्त होकर .....
फागण सुदी तेरस के दिन
शत्रुंजय गिरिराज पर स्थित
भाडवा के डुंगर उपर से
मोक्ष - मुक्ति पाये थे.
उन्हीं के दर्शन करने के लिए .
लगभग
84 हजार वर्षों से
यह फागण के फेरी चल रही है .
फागण के फेरी में आते हुए
दर्शन के स्थल.
दादा के दरबार मे से
निकलने के बाद
रामपोल दरवाजे से
छ गाउ की यात्रा प्रारंभ होती है .
उसमें 5 दर्शन के स्थल है
1 - 6 गाउ की यात्रा प्रारंभ होती ही 100 पगथिया के बाद ही
देवकी माता के 6 पुत्र का
समाधि मंदिर आता है
वो इसी स्थान से मोक्ष गयें थे .
[कृष्ण महाराज के 6 भाई का मंदिर]
2- उलखा जल नाम का स्थल आता है .
(जहां दादा का पक्षाल आता है ऐसा कहते हे वो स्थल )
यहां पर आदिनाथ भगवान के पगले है
(जहां दादा का पक्षाल आता है ऐसा कहते हे वो स्थल )
यहां पर आदिनाथ भगवान के पगले है
3- चंदन तलावडी आती है
यहां पर
अजितनाथ और शांति नाथ के
पगले है .
चैत्यवंदन मे अजितशांति बोलते है
और
चंदनतलावडी पर नो लोग्गस का काउस्सग करते है .
अगर लोग्गस नहीं आता हो तो 36 नवकार मंत्र का जाप करने का .
यहां पर
अजितनाथ और शांति नाथ के
पगले है .
चैत्यवंदन मे अजितशांति बोलते है
और
चंदनतलावडी पर नो लोग्गस का काउस्सग करते है .
अगर लोग्गस नहीं आता हो तो 36 नवकार मंत्र का जाप करने का .
4- भाडवा का डुंगर
पर शाम्ब प्रध्युमन की देरी
यानी मंदिर आता है.
इसी के ही दर्शन का महत्व है .
आज के दिन .
यहाँ मंदिर मे पगले है .यहां चैत्यवंदन करने का होता है .
पर शाम्ब प्रध्युमन की देरी
यानी मंदिर आता है.
इसी के ही दर्शन का महत्व है .
आज के दिन .
यहाँ मंदिर मे पगले है .यहां चैत्यवंदन करने का होता है .
5- सिद्ध वड का मंदिर यह मंदिर
(पालके अंदर ही है) यहां पर आदिनाथ भगवान का मंदिर है.
यह पांचों स्थल पर चैत्यवंदन करने होता है .
और
जयतलेटी - शांतिनाथ -
रायण पगला- आदिनाथ दादा - पुंडरीक स्वामी यह भी पांच स्थल पर चैत्यवंदन करने का होता ही है
यात्रा करो तो
विधि विधान के साथ.
(पालके अंदर ही है) यहां पर आदिनाथ भगवान का मंदिर है.
यह पांचों स्थल पर चैत्यवंदन करने होता है .
और
जयतलेटी - शांतिनाथ -
रायण पगला- आदिनाथ दादा - पुंडरीक स्वामी यह भी पांच स्थल पर चैत्यवंदन करने का होता ही है
यात्रा करो तो
विधि विधान के साथ.
हम फागुनी तेरस करने जाते हे
लेकिन हमें इस इतिहास की जानकारी नही है कि फागुनी तेरस क्यों की जाती है।
आप भी जाने और अपने साथियों को भी बताए
लेकिन हमें इस इतिहास की जानकारी नही है कि फागुनी तेरस क्यों की जाती है।
आप भी जाने और अपने साथियों को भी बताए
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