ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

जिंदगी चार दिन की है.

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जिंदगी चार दिन की है.

पहला दिन जन्म का है :
उसकी ख़ुशी हम खुद नहीं मना सके.
हम साहबजादे जब रो रहे थे, 
दुनिया ख़ुशी मना रही थी.

दुनिया की ही नहीं,
अपनों की क्रूरता तो देखो.

दूसरा दिन बचपन का है :
ख़ुशी किस बात की थी, आज समझ में ही ये बात नहीं आती.
तभी तो दिन भर दौड़ धूप कर रहे हैं.

तीसरा दिन जवानी का है:
(गुजराती में जवानी का अर्थ है : जाने वाली)
जवानी के अहंकार में किस किस को नीचा नहीं दिखाया होगा.

चौथा दिन बुढ़ापे का है:
अब तो पीछे का याद करके आगे अँधेरा दिखता है.
प्रभु स्मरण अभी भी नहीं होता.
(पहले भी ऐसा कब किया था, जो अब हो सके).

अब आगे :
*********
पांचवा दिन "मृत्यु" का है:
हमें ही पता नहीं होता कि हम कब "मरे",
पीछे क्या छोड़ा
और क्या साथ ले गए !

"मौत" के समय अब तक इकट्ठा किया
जो साथ ले जाना था,
वो "लगेज" तो "allow" ही नहीं हुआ !

हे प्रभु !

इस पांचवे दिन का स्मरण हर समय रहे
तो "जीव" हरदम "ठिकाने" रहे.

BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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