ॐ ह्रीँ श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नम: દર્શન પોતે કરવા પણ બીજા મિત્રો ને કરાવવા આ ને મારું સદભાગ્ય સમજુ છું.........જય જીનેન્દ્ર.......

⚡️हम लायक हे क्या.. ?

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⚡️हम लायक हे क्या.. ?
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सुधर्मा स्वामी के उपदेश से विरक्त हो कर एक दरिद्र लकड़हारे ने दीक्षा ले ली,
जब वे मुनि गौचरी को निकले, तब उसे देखकर पूर्व के जान ने वाले लोगो ने मजाक उड़ाया,
के कल तक जो दरिद्र था वो आज पूजनीय हो गया,
जिन लोगो के पास लकड़ी के पेसो के लिए हाथ फैलाता था वे अब इनके पाँव पूजेंगे,
मनपसन्द मिष्टान्न खिलाएंगे,
बस कपड़े बदलने की देर थी,
इत्यादि वचनो से उन मूनि की आलोचना करने लगे,
नवदीक्षित मुनि ने गुरु से आकर सब बताया,
अभयकुमार भी उसवक्त वंही मौजूद थे।

🌷अभय कुमार ने मुनि को आश्वश्त किया व् नगर में आकर 3 कोटि रत्न खजाने से निकाल कर राज मार्ग के बिच रखवाई, घोषणा करवाई, की जो भी व्यक्ति 3 वस्तु के आजीवन त्याग करेगा उन्हें ये रत्नों का ढेर बिना मूल्य मिलेंगे,
सब आतुर हो गए,
रत्न लेने काफी लोग इकठ्ठा हुये,
फिर अभय कुमार ने उन तिन वस्तु के नाम कहे,

सचेत पानी
अग्नि
स्त्री का स्पर्श

लोगो में सन्नाटा फ़ैल गया,
कोई आगे नहीं आया,
मुफ़्त में मिल रहे हीरो का ढेर लेने को कोई तैयार नही हुआ,
महा मंत्री जी तो हमे साधू बना रहे
ये तीन वस्तु का त्याग करे तो ये रत्न लेकर करे क्या,
तब अभय कुमार ने सबको संयम का महतब समझाया,
और कहा
की वे साधू तो बिना किसी लालच के साधू बने,
आपके सामने तो रत्नों का ढेर लगा फिर भी तैयार नही कोई,
संयम पालन करना उतना सहज नहीं है,
तलवार की धार पर चलना हे,
लोगो के पूजनीय होने से पहले कठिन साधना की शुरुआत करना होता है,
लोगो ने माफ़ी मांगी,
और मुनि को सहर्ष वंदन किये।
ये हे त्याग की महिमा,

*किसी भी मुनि की ज़रा सी* *स्खलन या दोष की निंदा करने* *से पहले ये अवश्य सोचे*
*की हम लायक हे क्या.. ? ? ? ? ?*


BEST REGARDS:- ASHOK SHAH & EKTA SHAH
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